डरावना जंगल और बुद्धिमान राजा / Kahani with Moral in Hindi

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Kahani with Moral in Hindi – मोरल स्टोरी इन हिंदी / हिंदी कहानी लिखी हुई

Kahani with Moral in Hindi

राजगढ़ की प्रजा सुखी थी क्योंकि राजगढ़ के राजा मोहनराय एक बहुत ही अच्छे शासक थे.

उन्होंने अपने राज्य में गरीब और अमीर में समान भाव की प्रथा लागू की थी.

लेकिन यह प्रथा सबको एक समान मानने की नहीं थी. बल्कि अमीर लोगों को राजकोष में जो कर चुकाना होता था उससे आधा कर ही गरीब लोगों को चुकाना पड़ता था.

इसलिए अन्य राज्यों में जहां गरीब प्रजा और गरीब होती जा रही थी और अमीर प्रजा और अमीर होती जा रही थी.

वहीं राजगढ़ में गरीब प्रजा अमीर हो रही थी और अमीर प्रजा ज्यादा अमीर नहीं हो रही थी.

इस प्रथा से राजगढ़ में एक अनुकरणीय शासन व्यवस्था थी.

लेकिन अब राजगढ़ के राजा मोहनराय की अवधि खत्म होने वाली थी.

और उन्हें बहुत जल्द ही अपने पद से निष्कासित किया जाना था.

आपको लगेगा कि राजगढ़ की यह कैसी शासन व्यवस्था है ?

जहां राजा को अपने पद से निष्कासित किया जाता हो ?

क्योंकि अक्सर जहां भी राजाशाही होती है वहां राजा के पुत्र ही राजा बनते हैं.

कहीं भी राजा को प्रजा द्वारा अपने पद से निष्कासित नहीं किया जाता.

लेकिन राजगढ़ में बरसों से ये एक पुरानी परंपरा चली आ रही थी.

इस परंपरा के अनुसार राजगढ़ की प्रजा राज सेनापति की अध्यक्षता में हर 10 साल के लिए प्रजा में से ही एक राजा चुनती थी.

और वह आदमी 10 साल तक राजगढ़ पर राजा के तौर पर शासन करता था.

जब उसकी 10 साल की अवधि खत्म हो जाती तो उसे राजगढ़ की नदी के दूसरे छोर पर बने एक बेहद घने और डरावने जंगल में अकेला छोड़ दिया जाता था.

फिर उसकी जगह पर राजगढ़ की प्रजा में से किसी और को राजा बनाया जाता था.

Kahani with Moral in Hindi

नए राजा की तलाश ..

मोहनराय के राजा के पद से निष्कासित किए जाने में अब केवल एक सप्ताह ही बाकी रहा था.

और राजगढ़ के नए राजा की तलाश भी शुरू कर दी गई थी.

राज सेनापति के पास अलग-अलग कई व्यक्तियों के सुझाव आने लगे.

इनमें से एक सुझाव मनजीत का भी था.

मनजीत की गिनती पूरे राजगढ़ गांव के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति में होती थी.

गांव में जब भी कोई झगड़ा या गंभीर मामला होता तो लोग मनजीत के पास ही समाधान के लिए जाते थे.

राज सेनापति को मनजीत का नाम मिलने पर उन्होंने मनजीत को ठीक से पहचानने के लिए उससे रूबरू मिलना ठीक समझा.

अगले दिन राज सेनापति अपने दस्ते के साथ मनजीत के घर गए.

मनजीत और उसकी पत्नी घर के आंगन में ही बैठकर बातें कर रहे थे.

वहां जाकर राज सेनापति ने कहा कि …

मुझे मनजीत से मिलना है

मनजीत ने कहा कि ..

जी सेनापति जी मैं ही मनजीत हूं. बताइए क्या काम है.

सेनापति ने कहा ..

मैंने गांव वालों से तुम्हारी बुद्धिमानी के कई किस्से सुने हैं. और इसी वजह से मैं तुम्हारे पास आया हूं.

जैसा कि तुम खुद भी जानते हो कि राजगढ़ के राजा मोहनराय की अवधि खत्म होने पर उनकी जगह अब एक नए राजा को पसंद किया जाना है.

और इस पद के लिए कई गांव वालों ने तुम्हारे नाम का सुझाव दिया है.

तो अब मैं यह जानना चाहता हूं कि तुम्हारी खुद की इस बारे में क्या राय है ?

इस पर मनजीत ने कहा कि ..

आपकी बातें सर आंखों पर. लेकिन इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले मुझे सोचने का वक्त दीजिए.

मैं 2 दिन के बाद अपना निर्णय आपको बता दूंगा.

राज सेनापति ने कहा ठीक है. और वह वापस राजमहल चले गए. – Kahani with Moral in Hindi

मनजीत का विचार ..

उनके जाने के बाद मनजीत की पत्नी ने मनजीत से कहा कि ..

इतना बड़ा पद जब आपको मिल रहा है. तो आपने 2 दिन का सोचने का वक्त क्यों मांगा ?

आपको तो सीधे हां कहकर राजगढ़ का राजा बन जाना चाहिए.

मनजीत ने अपनी पत्नी से कहा ..

तुम शायद नहीं जानती राजगढ़ के नियम अनुसार किसी भी व्यक्ति को 10 साल तक राजा घोषित किया जाता है.

फिर 10 साल पूरे होने के बाद राजा को नदी के उस पार घने और डरावने जंगल में अकेला छोड़ दिया जाता है.

और अब तक जितने भी राजा वहां छोड़े गए हैं उनमें से कोई कभी वापस नहीं लौटा.

इसलिए मैं 2 दिन तक इस बारे में विचार विमर्श करने के बाद ही निर्णय लेना चाहता हूं.

2 दिन बीतने के बाद मनजीत राजमहल गया और सेनापति से मिला.

मनजीत ने सेनापति से कहा कि ..

वह राजगढ़ का राजा बनने के लिए तैयार है. लेकिन उसकी एक शर्त है कि राजा बनकर वह जो भी निर्णय लेंगे उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा.

सेनापति ने कहा ..

जी बिल्कुल राजा के निर्णय में मैं खुद भी हस्तक्षेप नहीं कर सकता. यही राजगढ़ की प्रथा है.

अगले दिन मनजीत को राजगढ़ का राजा बनाया गया.

कुछ महीनों तक नए राजा मनजीत ने राज्य के सामान्य कामकाज को ठीक से समझ कर उसका अनुभव लिया.

फिर एक दिन उसने राज सेनापति से कहा कि वह नदी के उस पार के घने और डरावने जंगल का दौरा करना चाहते हैं.

अगले दिन सुबह राजा मनजीत और राज सेनापति पूरे बंदोबस्त के साथ नदी के उस पार के डरावने जंगल में गए.

मनजीत ने देखा कि वहां कोई व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता.

जंगल की कायापलट ..

क्योंकि वहां जगह जगह पर जंगली जानवरों के निशान थे.

साथ ही उसने वहां मानव कंकाल भी देखें जो शायद राजगढ़ के अगले राजाओं के थे.

Kahani with Moral in Hindi

यह सब देखने के बाद राजा मनजीत राजमहल वापस लौटे.

कुछ दिनों के बाद उसने आदेश दिया की नदी के उस पार के जंगल में से कई जानवर राजगढ़ में आने लगे हैं इसलिए वहां के जंगली जानवरों को पकड़कर दूसरे जंगल में छोड़ देना चाहिए.

कुछ ही दिनों में नदी के उस पार के जंगल में से सभी जानवरों को पकड़कर दूर के जंगलों में ले जाया गया.

उसके बाद नियमित रूप से राजा मनजीत उस जंगल का दौरा करने लगे.

उसने धीरे-धीरे वहां पर पेड़ पौधे लगाने का काम शुरू करवा दिया.

साथ ही राजगढ़ की नदी के ऊपर एक पुल पर भी बनवा दिया.

जिससे बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी में भी वहां आवागमन किया जा सके.

कुछ समय में वहां कच्ची सड़क और जानवरों के तबेले भी बनाए गए.

ऐसे होते होते 2 साल में वह जगह एक रहने लायक छोटा सा गांव ही बन गया.

अब वहां कई घर बन गए थे और राजगढ़ के अनेक लोग रहने भी लगे थे.

समय बीतने में कहां देर लगती है.

अब मनजीत के राजगढ़ के राजा की अवधि पूरी होने वाली थी.

क्योंकि उसके शासन के 10 साल पूरे होने वाले थे.

जब मनजीत का कार्यकाल पूरा हो गया तब राजगढ़ की प्रजा ने राज सेनापति से कहा कि ..

हमें अब नया राजा नहीं बनाना चाहिए. बल्कि मनजीत को ही राजा बनाए रखना चाहिए.

मनजीत पद से निष्कासित ..

लेकिन राज सेनापति ने राजगढ़ की यही प्रथा होने की बात कही.

अंतः मनजीत को राजगढ़ के राजा के पद से निष्कासित किया गया.

और उसे भी अन्य राजाओं की तरह नदी के उस पार के जंगल में भेज दिया गया.

लेकिन अब वह जंगल नहीं रहा था बल्कि राजगढ़ जैसा ही एक दूसरा गांव बन चुका था.

वहां कई लोग रहने लगे थे और उन्हीं लोगों के बीच मनजीत भी रहने लगा.

कुछ ही दिनों में मनजीत का परिवार भी उसी के साथ वरना रहने के लिए आ गया.

सीख / Kahani with Moral in Hindi

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की ..

जिस तरह मनजीत ने अपनी बुद्धिमानी से अपने और अपने गांव वालों के भविष्य के बारे में योग्य समय पर योग्य निर्णय किया और खुशहाल जीवन पसंद किया.

वैसे हमें भी खुद पर आई मुसीबत को अवसर में बदलकर बुद्धिमत्ता से योग्य समय पर सही निर्णय करना चाहिए.


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