गई भैंस कुँए में – Moral Stories Adults Hindi

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Moral Stories Adults Hindi / मोरल स्टोरी हिंदी में

यह कहानी उन लोगों के लिए है.

जो अपना काम पूरा करना चाहते हैं लेकिन दूसरे लोग उस में बाधा डालते हैं.

हमारे समाज में यह बहुत बड़ी समस्या है कि ..

कोई भी इंसान अपनी मेहनत और लगन से कोई काम शुरू करता है तो उस में टांग अड़ाने वाले बहुत होते हैं.

वो कैसे भी करके उसे काम करने से रोकते हैं.

ऐसे में काम करने वाले इंसान का आत्म विश्वास धीरे-धीरे खत्म हो जाता है.

और इससे वह हताशा में डूबा रहता है.

अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है तो आपके लिए और आप जैसे अनेक लोगों के लिए यह कहानी बहुत बड़ी सीख और प्रेरणा देगी.

Moral Stories Adults Hindi

मोहन एक सामान्य किसान था. उसके दो बेटे भी पिता की तरह बहुत मेहनती थे.

हर साल वो अपने खेत में पूरी लगन और मेहनत से अनाज की खेती करते.

हर साल उसकी खेती मैं ज्यादा से ज्यादा अनाज उगता था और उसी अनाज को बेचकर वह पैसे कमाते.

उन्हीं पैसों से मोहन के घर का गुजारा चलता था.

एक बात ये भी थी कि मोहन को अपने घर के लिए कभी दूध नहीं खरीदना पड़ता था.

क्योंकि मोहन के पास खेती के अलावा एक तंदुरुस्त भैंस थी.

और इस भैंस का दूध उसके पूरे परिवार के लिए काफी था.

वो खेती के काम में भी भैंस की मदद लिया करते थे.

हर साल की तरह इस साल भी मोहन और उनके बेटों ने अपने खेत में गेहूं की बुवाई की थी.

और इस साल बारिश भी अच्छी होने की वजह से गेहूं की पैदावार भी अच्छी हुई थी.

लेकिन इस बीच एक ऐसी घटना घटी जिसके कारण मोहन के परिवार पर मानो आकाश टूट पड़ा हो. Moral Stories Adults Hindi

खेत में कुआँ …

असल में मोहन के खेत में एक कुआँ भी था जो काफी गहरा था.

कुए का मुंह ज्यादा चौड़ा नहीं था हालांकि कुएं में पानी सूख चुका था और वर्षो से वह बेकार ही खाली पड़ा था.

एक दिन खेत में मोहन की भैंस इसी कुएं के पास गई और गलती से कुएं में गिर गई.

मोहन और उसके बेटे दिनभर काम में मशगूल थे इसलिए उन्हें भैंस के बारे में कुछ पता नहीं चला.

लेकिन जब शाम हुई और घर जाने का वक्त हुआ तब उन्हें भैंस याद आई.

तीनों ने मिलकर भैंस को इधर-उधर ढूंढा लेकिन भैंस कहीं नजर नहीं आई.

आखिर में मोहन ने कुएं में तलाश की तो देखा कि भैंस में गिरी पड़ी है.

भैंस तंदुरुस्त थी और उसका वजन भी बहुत ज्यादा था. इसलिए उसे रस्सी से बाहर खींचना तो बिल्कुल नामुमकिन था.

और शाम भी हो चुकी थी तो मोहन और उसके बेटों ने यह तय किया कि अभी भैंस को बचाने के लिए कोई भी प्रयास करना बेकार है.

इसलिए आज रात इसे इसी कुएं में रहने देते हैं सुबह आकर भैंस को निकालने के लिए कुछ उपाय करेंगे.

यह निर्णय लेकर उन्होंने कुएं के ऊपर एक बड़ा सा कपड़ा ढांप दिया और घर चले गए.

अगले दिन सुबह जब मोहन उसके बेटे खेत पर आए तो
सबसे पहले कुए के पास गए.

मोहन ने कुएं में भैंस को रस्सी से घास और पानी पहुंचाया. जिससे भैंस को भूख और प्यास न सहनी पड़े.

इसके बाद मोहन और उसके बेटे भैंस को कुएं में से निकालने के बारे में सोचने लगे. लेकिन कोई उपाय नहीं मिल रहा था.

अंतः मोहन ने अपने आसपास के खेत वाले किसानों को बुलाया और सभी से इस बारे में चर्चा की.

खटिया का उपाय ..

उसनें सभी से भैंस को सलामत तरीके से बाहर निकालने के बारे में मदद करने के लिए कहा.

सभी किसान अपने अपने दिमाग के मुताबिक उपाय बताने लगे. – Moral Stories Adults Hindi

एक किसान ने कहा कि ..

क्यों न एक चारपाई वाली खटिया को चारों और रस्सी से बांधकर कुएं में उतारा जाए और उसी खटिया पर भैंस को लिटा कर उसे बाहर खींच लिया जाए.

तो मोहन ने कहा कि ..

मेरी भैंस बहुत तंदुरुस्त है और उसका वजन भी बहुत ज्यादा है. इसलिए कैसी भी मजबूत खटिया हो वह मेरी भैंस का वजन सह नहीं सकती.

एक अन्य किसान ने कहा कि ..

बड़ी मशीनरी की मदद से भैंस को बाहर निकालना कैसा रहेगा ?

तो मोहन ने कहा कि ..

कुआँ अंदर से बहुत गहरा है. और ऐसी कोई मशीन नहीं जो इतनी गहराई तक पहुंच सके और भैंस को सलामत तरीके से बाहर निकाल सके.

ऐसे अलग-अलग करके कई किसानों ने अपनी अपनी तरकीब बताई लेकिन सभी तरकीब बेकार थी.

क्योंकि सभी मामले में यही बात आगे आ रही थी कि कुआं गहरा और ऊपर से संकरा था.

मोहन खुद भी अपनी भैंस को खोना नहीं चाहता था. इसलिए वह सुबह शाम भैंस को कोई चारा पानी देने लगा.

ऐसे होते होते लगभग 8-10 दिन हो चुके थे.

और अब मोहन और उसके बेटों ने मान लिया कि भैंस को किसी भी स्थिति में बाहर नहीं निकाला जा सकता.

अंतः उन्होंने निर्णय किया कि अब भैंस का कुँए में ही अंतिम संस्कार कर दिया जाए.

इसलिए उसने फिर एक बार सभी किसानों को इकट्ठा किया और अपना निर्णय सभी को बताया.

अगले दिन मोहन ने अपने खेत में जेसीबी मशीन मंगवाई और उसकी मदद से अलग-अलग खेतों से मिट्टी इकट्ठा की फिर धीरे-धीरे करके उस मिट्टी को कुएं में डालना शुरू की. – Moral Stories Adults Hindi

भैंस का अंतिम समय …

दूसरी तरफ कुएं में फंसी भैंस ने भी मान लिया था कि अब उसका अंतिम समय नजदीक है.

लेकिन मरता क्या न करता.

जब उसने देखा कि उस पर मिट्टी डाली जा रही है तो उसने खुद को सलामत रखने के लिए आखिरी प्रयास शुरू किए.

जब भी जेसीबी मशीन से उस पर मिट्टी का ढेर फेंका जाता तो वो ढेर भैंस के शरीर पर गिरता था. लेकिन भैंस अपने शरीर को हिलाकर वह मिट्टी नीचे डाल देती थी.

यह काम दिनभर चलता रहा.

और लगभग आधे से ज्यादा कुआँ मिट्टी से भर चुका था लेकिन फिर भी भैंस मिट्टी में दफन नहीं हुई थी बल्कि धीरे-धीरे ऊपर आ रही थी.

इस तरह भैंस को भी फिर से जीने की उम्मीद मिल चुकी थी.

कुएं के बाहर खड़े मोहन और उसके बेटे ने भी देखा कि भैंस को अभी भी बचाया जा सकता है.

अब उन्होंने जेसीबी मशीन द्वारा भैंस के ऊपर मिट्टी डालने के बजाय उसके बाजू में मिट्टी का ढेर लगाना शुरू कर दिया.

धीरे धीरे होते होते जब 90% पर कुआं मिट्टी से भर गया तो भैंस अपने आप ही कूद कर बाहर आ गई.

और इसी तरह फिर एक बार उसे जीवनदान मिला.

सीख / Moral Stories Adults Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ..

अगर हमारे काम में भी कोई टांग अड़ा रहा है या हमारे काम में कोई बाधा डाल रहा है तो उस बाधा को दूर करने के बजाय उसे ही सीढ़ी की तरह उपयोग में लेकर आगे बढ़ना चाहिए.

यही हमारे विरोधियों को मौन रहकर मुंहतोड़ जवाब देने के बराबर है.


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