Moral Stories Hindi – हमारे आसपास ऐसे बहोत से लोग होते है जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है.
उन्हें अपनी जिंदगी में कई सपने साकार करने होते है लेकिन वो हिंमत नही कर पाते.
इस कहानी से ऐसे लोगों को बहोत बड़ी सीख मिलेगी.
तो चलिए पढ़िए ये ..
Moral Stories Hindi
रोहन एक साधारण परिवार से था. उसके पिता किसान थे और उनकी खेती की आमदनी से घर का गुजारा चलता था.
रोहन की हाईस्कूल की पढ़ाई खत्म हो चुकी थी और अब वह कॉलेज के दूसरे वर्ष में पढ़ रहा था.
वैसे तो रोहन भी एक सामान्य नौजवान लड़का था लेकिन मानसिक रूप से रोहन में और अन्य लड़को में फर्क था.
फर्क ये की रोहन में मानसिक हिंमत का अभाव था.
किसी भी काम को करने से पहले ही रोहन ये समझने लगता ये काम उससे नही हो सकता.
एक तरह से वो एक निराशावादी व्यक्ति था.
उसके दोस्तों और परिवारजनों ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की. लेकिन रोहित की आदत वैसी की वैसी ही रही.
एक दिन रोहन के गांव में एक बुजुर्ग आए हुए थे जो वैसे तो कोई चमत्कारी बाबा नहीं थे.
लेकिन वो गांव वालों की छोटी – मोटी मानसिक समस्याओं को सुनकर उसका न्यायी हल या सुझाव देते थे.
बुज़ुर्ग की बातें लोगों को अच्छी जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करती.
किसी ने यह बात रोहन को बताई.
और सलाह दी कि, तुम खुद को निराशावादी मानते हो तो तुम्हें भी एक बार इस बुजुर्ग से मिलना चाहिए और अपनी समस्या उनके साथ साझा करनी चाहिए.
अगर मुमकिन हुआ तो तुम्हें योग्य सलाह और दिशा भी मिल जाएगी.
इस पर पहले तो रोहन ने कोई खास ध्यान नहीं दिया.
लेकिन जब घर वालों ने उसे कहां की वह बुजुर्ग से जाकर मिले तो आखिरकार रोहन ने भी बुज़ुर्ग से मिलने का मन बना लिया.
बाबा के पास ..
रोहन घर से निकलकर सीधे बाबा के विश्राम स्थान पर पहुंचा.
अपनी समस्या के बारे में बुज़ुर्ग अवगत कराने हेतु रोहन ने कहा कि ..
मान्यवर, मेरे जीवन में मैं जब भी कोई नया नया काम शुरू करता हूं तो वह काम पूरा करने के लिए मुझ में आत्मविश्वास पैदा नहीं होता.
यानी कि मुझे काम शुरू करने से पहले ही मानसिक रूप से ऐसा लगने लगता है कि यह काम मुझसे नहीं हो सकता.
अगर फिर भी थोड़ी बहुत हिम्मत करके मैं काम शुरु कर देता हूं तो कुछ ही दिनों में मेरी हिम्मत जवाब दे जाती है.
और मैं फिर से हताशा की गर्ता में गुम हो जाता हूं.
ऐसा मेरे साथ पहली बार नहीं हुआ बल्कि अनेक बार हो चुका है.
इसलिए आपसे निवेदन है कि आप मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मुझे अपना काम पूरा करने के लिए जरूरी हिंमत मिल सके और मैं आत्मविश्वास से भरपूर होकर काम कर सकूं.
इस पर बाबा पहले तो मुस्कुराए.
फिर उन्होंने एक फलों से भरी टोकरी निकाली. जिसमें लगभग चार-पांच अमरूद के फल भरे हुए थे.
बाबा ने उसमें से एक बड़ा अमरुद हाथ में उठाकर रोहन की तरफ देखते हुए कहा की ..
तुम बता सकते हो इस एक अमरुद का वजन कितना हो सकता है ?
रोहन ने अंदाजा लगाते हुए बाबा से कहा कि शायद 100 ग्राम या 200 ग्राम
बाबा ने फिर से कहा ..
तुम्हारा जवाब सही भी हो सकता है और गलत भी. क्योंकि इस अमरुद का सही वजन जब मैं कांटे पर तोलूंगा तब ही मालूम पड़ेगा.
लेकिन एक बात तो तय है कि इस अमरूद का कुछ ना कुछ वजन जरूर है.
अब आगे सुनो …
इतना कहकर बाबा ने अमरुद को एक हाथ में पकड़ कर हाथ ऊंचा उठाया.
फिर रोहन की तरफ देख कर बोले ..
क्या तुम बता सकते हो कि मैं इस अमरुद को इस तरह कब तक उठाकर रख सकता हूं ?
रोहन ने जवाब दिया, 5 या 10 मिनट तक
बाबा ने फिर रोहन से पूछा कि ..
अगर मैं इसे 2 घंटे तक यूं ही उठाए रखूं तो क्या होगा ?
तो रोहन ने जवाब दिया कि ..
इससे तुम्हारे हाथ के कंधे दर्द करने लगेंगे. और मजबूरन तुम्हें अपना हाथ नीचे ही रखना पड़ेगा.
बाबा ने फिर सवाल किया ..
अगर मैं अमरुद को इस तरह 2 दिन तक पकड़ कर रखूं तो मेरे हाथ में क्या प्रभाव पड़ेगा ?
इस पर रोहन ने कहा कि ..
इस तरह तो आपका हाथ बिल्कुल बेकार हो जाएगा. क्योंकि इतने लंबे समय तक अगर आपने अमरूद का वजन पकड़े रखा तो आपके हाथ में लकवा मार जाएगा.
बाबा ने कहा, तुमने इस बार बिल्कुल सही जवाब दिया है.
हमारे जीवन की समस्याएं भी इस अमरूद की तरह है.
तुमने देखा कि एक अमरूद का वजन ज्यादा से ज्यादा 100 से 200 ग्राम तक का है.
और इस अमरुद को थोड़े समय के लिए हाथ से पकड़ा जाए तो इसका वजन तुम्हें महसूस नहीं होता.
लेकिन अगर तुम इसी अमरूद को घंटों या दिन तक पकड़ के रखोगे तो तुम्हें बहुत ज्यादा और गंभीर नुकसान होगा.
बेटा, तुम्हारे अंदर आत्मविश्वास का अभाव होने का कारण भी यही है.
तुम बिना वजह अपने अंदर के भय को जरूरत से ज्यादा महत्व दे बैठे हो. और इस भय को तुम छोड़ भी नही रहे.
तो तुम्हारे कई काम हो जाते ..
अगर तुम अमरूद की तरह थोड़े समय तक भयभीत होकर उस पर काबू पा लेते तो यकीनन अब तक तुम्हारे कई सारे काम पूरे कर चुके होते.
जैसे एक अमरूद को दो दिन तक पकड़कर रखने से मुजे लकवा मार सकता है.
वैसे लगातार मानसिक भय तुम्हारा आत्मविश्वास खा जाता है.
जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए तुम्हे अपने अंदर से ..
ये काम मुझसे नही हो पाएगा ! ये काम मैं नही कर सकता ! जैसे भय को निकालना होगा.
रोहन को बाबा की बातें कड़वी जरूर लगी लेकिन फिर उसे समझ में आ गया कि हकीकत वो ही है जो बाबा ने बताई.
रोहन बाबा से मिलकर घर लौटा तो उसके चेहरे पर खुशी दिख रही थी. क्योंकि अब उसके अंदर एक नई शक्ति का संचार होने लगा था.
सीख / Moral Stories in Hindi
इस कहानी से हमें पहली सीख मिलती है कि
हमें अपने जिंदगी में सफल होने के लिए अपने दिमाग में से वजनदार अमरूद यानी कि खुद पर आत्मा विश्वास बनाने में अवरोध करने वाले विचारों को निकाल बाहर करना चाहिए.
इस कहानी से दूसरी सीखिए भी मिलती है कि
हमें जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए सबसे जरूरी जो तत्व है वह है हमारे अंदर का आत्मविश्वास.
और उसको बढ़ाने के लिए हमें खुद को काम के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए.
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