Motivational Kahani in Hindi : यह कहानी उन लोगों के लिए बहुत बड़ी सीख देती है. जो अपने जीवन में किसी दुर्घटना या अप्रिय प्रसंग के बाद यह सोचने लगते हैं कि उनके साथ हमेशा ही बुरा होता है.
लेकिन हकीकत ये नहीं होती.
हर घटना के पीछे कोई न कोई राज जरूर छुपा होता है जो हमें उस समय तो नजर नहीं आता लेकिन कुछ समय बाद जब वह वक्त गुजर जाता है तब यह एहसास होता है कि जो हुआ वह अच्छा हुआ.
इस कहानी से भी हमें यही सीख मिलती है कि जो भी होता है वो अच्छे के लिए होता है.
हमें सिर्फ अप्रिय घटना के समय होने वाले गुस्से को संभालना होता है और सब्र करना होता है.
Motivational Kahani के मुख्य मुद्दे इस प्रकार है
- राजा का शिकार करने का शौक
- शिकार करने हेतु मंत्री के साथ घने जंगल में जाना
- जंगल में शिकार को देखकर तीर चलाना
- ठीक उसी समय टक्कर लगने से तीर का निशान चूक जाना
- खुद राजा के हाथ का अंगूठा कट जाना
- मंत्री का इस पर राजा को सीख देना
- राजा का गुस्सा होना
- मंत्री को जंगल में छोड़ देना
- राजा को नरभक्षीओ द्वारा पकड़ना और बलि के लिए ले जाना
- राजा को मानव बलि के लिए तैयार करना
- पुजारी द्वारा राजा की हाथ का अंगूठा कटा हुआ देखना
- अंग भंग वाली बलि स्वीकार होने की बात कहना
- राजा को छोड़ देना
- राजा को अपनी गलती का एहसास होना
- राजा का मंत्री को ढूंढना, मिलना तथा अपनी गलती की माफी मांगना
Motivational Kahani in Hindi
हर्ष नगर के राजा शिकार करने के बड़े शौकीन थे. वो अक्सर शिकार पर जाया करते थे और शिकार करके ही वापस लौटते थे.
चूंकि हर्षनगर के पास में ही बहुत बड़ा जंगल था. इतना बड़ा कि अगर कोई इंसान रास्ता भूल जाए तो भटक ही जाए.
इसलिए राजा जब भी शिकार पर जाते तो अपने साथ अपने विश्वासु मंत्री को और अन्य सैनिकों को साथ लेकर ही जाते.
एक दिन सुबह सुबह राजा को शिकार पर जाने की इच्छा हुई.
उन्होंने शिकार के लिए अपने मंत्री को साथ लिया और सैनिकों को लिए बगैर वह दोनों ही अकेले जंगल में शिकार के लिए चल पड़े.
जंगल बेहद घना था और इसलिए इसमें शिकार को ढूंढना भी मुश्कील था.
काफी समय तक मशक्कत करने के बाद आखिरकार राजा को एक हिरन दिखा.
राजा ने बिना समय गवाएं सीधे ही अपना बाण तैयार किया और हिरन की ओर तीर छोड़ने ही वाले थे कि अचानक ..
एक जंगली सूअर भागता हुआ राजा के पैरों से टकराया.
राजा को धक्का लगने से वह गिर गए और उनका तीर हिरन की तरफ छूटने के बजाय अपने ही हाथ के अंगूठे की तरफ छूटा और उनका अंगूठा कट गया.
अचानक हुई इस घटना के कारण राजा के अंगूठे से बहुत सारा खून बह रहा था. और राजा कराह रहे थे.
उन्होंने मंत्री की तरफ देखा तो मंत्री ने उन्हें कहा कि ..,
राजाजी जो होता है अच्छे के लिए ही होता है ..
इस पर राजा का गुस्सा और भी भड़क गया. और वह मंत्री पर चिल्लाए और कहा कि ..,
यहां मेरे अंगूठे से इतना ज्यादा खून बह रहा है. और तुम कह रहे हो कि अच्छे के लिए होता है. मेरे अंगूठे का कट जाना मेरे लिए कैसे अच्छा हो सकता है ? भाग जाओ यहां से और कभी मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना ?
मंत्री को राजा से ऐसी अपेक्षा बिल्कुल नहीं थी.
लेकिन क्योंकि राजा का यह आदेश था.
इसलिए उनसे बहस करने के बजाय मंत्री ने खुद को शांत रखकर वहां से चले जाने में ही भलाई समझी.
जंगल में राजा अकेले ..
मंत्री के जाने के बाद अब जंगल में राजा अकेले हो गए.
वह जैसे तैसे करके आगे बढ़ रहे थे. कुछ समय चलने के बाद अचानक ही जंगल के नरभक्षी आदिवासियों का एक झुंड सामने आता दिखा.
उन्होंने राजा को चारों तरफ से घेर लिया और उन्हें पकड़कर ले गए.
वो लोग राजा को एक ऐसी जगह पर ले गए जहां पहले से किसी उत्सव की तैयारी चल रही थी.
वहां जाकर राजा ने देखा तो उन्हें मालूम हुआ कि यह लोग मानव बलि देते थे.
सारा माजरा देखकर ये ही मालूम पड़ रहा था कि वहां आदिवासि लोग राजा की बलि चढ़ाने वाले थे.
कुछ समय बाद वहां एक पुजारी आया.
उसने बली के लिए लाए गए इंसान के बारे में पूछा तो आदिवासियों ने राजा की तरफ इशारा किया.
पुजारी जब राजा के पास गया तो उसने देखा कि राजा के हाथ का अंगूठा कटा हुआ है.
पुजारी ने आदिवासियों से कहा कि, इस व्यक्ति का एक अंग भंग है. और इसी वजह से इसकी बली स्वीकार नहीं हो सकती.
निराश होकर आदिवासियों ने राजा को छोड़ दिया.
राजा को मानो फिर से जीवनदान मिल गया था. अब उन्हें मंत्री की याद आई.
राजा फिर से जंगल की ओर गए और मंत्री की तलाश करने लगे.
उन्होंने देखा तो दूर एक किनारे मंत्री जी बैठे हुए थे. राजा वहां जाकर मंत्री के गले मिले और उसको पूरी घटना के बारे में बताया जो उनके साथ जंगल में घटी थी.
राजा की माफी ..
फिर उन्होंने मंत्री से अपने गुस्सा होने के लिए माफी भी मांगी.
दोनों मिलकर वापस राजमहल की ओर जा रहे थे. रास्ते में राजा ने मंत्री से कहा कि ,
मेरे हाथ का अंगूठा कटने के वजह से मेरे साथ अच्छा ये हुआ कि नरभक्षी आदिवासियों ने मुजे छोड़ दिया.
लेकिन मैंने तुम्हें गुस्सा होकर भगा दिया इससे तुम्हारा क्या भला हुआ ?
इस पर मंत्री ने बताया कि ,
अगर आप मुजे गुस्सा होकर नही भगाते और अगर मैं आपके साथ ही होता तो जिन नरभक्षी लोगों ने आपके अंगूठे कटे होने की वजह से आपकी बलि स्वीकार नही की वो आपके बदले मेरी बलि चढ़ा देते क्योंकि मेरे शरीर का कोई अंग भंग नही था.
इस तरह मेरे लिए भी जो होता है अच्छे के लिए होता है कि बात यथार्थ ठहरी.
सीख / Motivational Kahani in Hindi
1). इस कहानी से हमें ये सीख देती है की जीवन में किसी गलत घटना या अप्रिय प्रसंग के बाद “हमारे साथ हमेशा ही बुरा होता है” की विचारधारा नही अपनानी चाहिए.
हकीकत में हर घटना के पीछे कोई न कोई राज जरूर छुपा होता है जो हमें उस समय तो नजर नहीं आता लेकिन कुछ समय बाद जब वह वक्त गुजर जाता है तब यह एहसास होता है कि जो हुआ वह अच्छा हुआ.
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