कौवे की जिद्द – Motivational Kahaniya

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Motivational Kahaniya – पूरे जंगल में एक कौवा ही था जिसे अपने जीवन से बहुत ज्यादा शिकायत रहती थी.

वह अक्सर सभी पक्षी और प्राणियों से मिलता तो अपने रंग के बारे में कहता कि मुझमें ऐसा बेहूदा रंग है कि कोई मुझे पसंद ही नहीं करता.

साथ ही वह अपने आवाज की भी शिकायत करता था कि मेरी आवाज बिल्कुल कर्कश है जिसकी वजह से कोई भी मेरी आवाज सुनना पसंद नहीं करता.

जंगल के अन्य पशु पक्षी भी कौवे कि इस शिकायत से उब चुके थे.

एक दिन जंगल में कोई बड़े बुजुर्ग बाबा आए और वह बुजुर्ग बाबा उसी पेड़ के नीचे बैठे जिस पेड़ पर कौवा रहता था.

कौवे ने जब देखा कि पेड़ के नीचे कोई बुजुर्ग बाबा आए हुए हैं तो उसने बुजुर्ग से कहा कि ..

मान्यवर, मैं अपने रंग और आवाज से बिल्कुल थक चुका हूं और मैं चाहता हूं कि मैं इस जिंदगी को अच्छी जिंदगी बनाऊं. यानी कि मैं कौवे की जगह हंस बनना चाहता हूं. यदि आपके पास कोई ऐसी शक्ति है जिससे आप मुझे कौवे में से हंस में बदल सकते हो तो मेहरबानी कर कर मुझे हंस बनाइए.

बुजुर्ग बाबा को कौवे की बात सुनकर पूरा माजरा समझ में आ गया.

वह बाबा खुद कौवे में से हंस बनाने की कोई शक्ति नहीं रखता था.

और इंसान के पास कोई ऐसी शक्ति होती भी नहीं है.

लेकिन कौवे की समस्या का हल देने के लिए उसने एक योजना बनाई.

योजना के अंतर्गत उसने कौवे को कहा कि ..

तुम अगर चाहो तो कौवे में से हंस बन सकते हो.

लेकिन हंस बनने से पहले मैं चाहता हूं कि तुम पहले एक बार हंस से मुलाकात कर लो – Motivational Kahaniya

हंस के पास ..

उसके बाद अगर तुम हंस बनना चाहो तो बन सकते हो.

कौवे ने बाबा से कहा ठीक है चलो हंस के पास.

दोनों जंगल में घूमते घूमते हंस के पास पहुंचे.

कौवे ने हंस से कहा कि ..

मैं अपने जीवन में काले रंग और कर्कश आवाज से बिल्कुल तंग आ गया हूं.

और मैं चाहता हूं कि तुम्हारी तरह जिंदगी जियूँ.

यानी कि मेरा शरीर सफेद रंग का हो जाए और तुम्हारी तरह मैं भी तालाब के शांत पानी में रहता फिरूँ.

इस पर हंस ने जवाब दिया कि ..

तुम्हें यह किसने कह दिया कि हंस का जीवन शांति दायक होता है.

और उसका रंग भी सबसे अच्छा रंग होता है.

भला तुम अगर हंस होते तो पता चलता कि हंस होना कितना मुश्किल काम है.

और हंस की जिंदगी कितनी मुश्किल जिंदगी है.

हंस ने आगे बताया कि ..

यह रंग भी कोई रंग है सफेद रंग. सफेद रंग की इस दुनिया में बहुत सारी चीजें हैं जैसे कि बादल, दूध, चांद, बर्फ यानी कि मुझमें जो सफेद रंग है उसमें कोई भी विशेषता नहीं है.

बल्कि एक सामान्य सफेद रंग है जिसे देखकर किसी को कोई आश्चर्य नहीं होता.

अगर तुम बनना ही चाहते हो तो तोता बनकर जियो.

उसके रंग और बोली का कोई तोल नहीं कोई पक्षी तोते जैसा नहीं होता.

कौवे ने बाबा से अब हंस के बदले तोते बनने की इच्छा जाहिर की.

बाबा ने कहा कि इससे पहले कि तुम तोता बन जाओ क्यों न एक बार तोते से भी मुलाकात कर ली जाए –

हंस नही तोता .. – Motivational Kahaniya

इतना कहकर बाबा, कौवा और हंस तीनों तोते के पास गए.

तोते के पास पहुंचकर कौवे ने तोते से बात शुरू करते हुए कहा कि ..

मैं इतने वर्षों तक कौवा बनकर जिंदगी जिया लेकिन मुझे जिंदगी जीने में कोई मजा नहीं आया.

आखिर में मैंने यह तय किया है कि मैं कौवे में से तोता बन जाऊं.

तो तुम बताओ कि क्या मेरा तोता बनने का निर्णय सही है ?

इस पर तोते ने कौवे को जवाब दिया कि ..

पागल हो गए हो क्या ? इतनी अच्छी जिंदगी है और तुम तोता बन कर अपनी जिंदगी क्यों तहस-नहस करना चाहते हो.

कौवे ने कहा ..

भला तुम्हारे पास मीठी बोली और हरा रंग है तो तुम्हें जिंदगी से क्या शिकायत है ?

इस पर तोते ने कहा कि ..

यही तो मेरी शिकायत है. मेरा हरा रंग देखकर हर शिकारी की मुझ पर नजर पड़ जाती है.

और मेरी बोली जिससे इंसान इतना ज्यादा खुश होता है कि मुझे जंगल से उठाकर पिंजरे में डाल देता है.

अपने घर में ही कैद कर लेता है. फिर मेरी सारी की सारी जिंदगी पिंजरे में ही बीत जाती है.

यह सब मेरी बोली और मेरे हरे रंग की वजह से ही तो है. अगर तुम कुछ बनना ही चाहते हो तो तुम्हें मोर बनना चाहिए.

मोर जैसा पक्षी पूरे जंगल में कोई नहीं है.

तोते की बात सुनकर कौवे का मन फिर एक बार डगमगाया.

उसने बाबा से कहा कि अब मैं तोता नहीं बल्कि मोर बनना चाहता हूं.

बाबा ने पिछली तरह इस बार भी जवाब दिया कि मोर बनने से पहले क्यों न एक बार मोर से मुलाकात कर ली जाए – Motivational Kahaniya

तोता नही मोर ..

फिर एक बार बाबा, कौवा, हंस और तोता सब मिलकर मोर के पास गए.

वहां जाकर कौवे ने मोर से कहा कि ..

मैं अपनी काली जिंदगी और कर.. कर.. आवाज से तंग आ गया हूँ और चाहता हूं कि मैं मोर बन जाऊं.

तो क्या मुझे मोर बनना चाहिए या नहीं ? तुम्हारी क्या राय है ?

इस पर मोर ने जवाब दिया कि ..

तुम बड़े मूर्ख हो जो मोर बनना चाहते हो. भला मोर का जीवन भी कोई जीवन है.

कौवे ने मोर से कहा, तुम्हें क्या शिकायत है ?

मोर ने जवाब दिया कि ..

मेरा होना ही मेरी मौत का कारण है. मैं जहां भी जाता हूं लोग मुझे देखने के लिए बेताब होते हैं.

लेकिन इन्हीं में मेरे दुश्मन में छुपे होते हैं यानी कि शिकारी.

मेरी खूबसूरती मेरे पंख में है और मेरे पंख की वजह से ही शिकारी मेरा शिकार कर लेते हैं.

वो मुझे मारकर मेरे एक एक पंख को नोच नोट कर निकाल लेते हैं और उसे बाजार में बेचकर पैसे कमाते हैं.

मुझे सिर्फ देखने के लिए ही अच्छा जीवन मिला है.

वास्तव में मेरे जीवन में हर वक्त मौत का साया मंडराता रहता है.

इस पर कौवे ने कहा कि, अब तुम ही बताओ तुम्हारी दृष्टि से सबसे अच्छी जिंदगी किस पक्षी की होती है ?

तो मोर ने फटाक से जवाब दिया कि कौवे की.

कौवे ने मोर से पूछा कि, वो भला कैसे ? कौवा तो मैं पहले से ही हूं.

मोर ने कहा कि ..

कभी किसी ने कौवे का शिकार करते हुए देखा ?

लोग मुर्गी को मारकर उसका चिकन तो बड़े शौक से खाते हैं लेकिन कभी किसी ने कौवा चिकन खाया ?

हमें तो खाना भी ढूंढना पड़ता है लेकिन कौवे को तो लोग ढूंढ ढूंढ कर श्राद्ध के रूप में खाना खिलाते हैं.

इतना ही नहीं तुम्हारा रंग भी काला है. इससे तुम्हें किसी की नजर भी नहीं लगती.

कुल मिलाकर तुम्हारे जैसी जिंदगी किसी और पक्षी की नहीं है.

इतना सुनकर कौवे ने बाबा को कहा कि ..

यहां से अब आप अपने रास्ते जाइए मुझे मेरा यानी कि कौवे का जीवन ही जीना है.

वाकई में मेरा जीवन ही सबसे सुखी जीवन है.


सीख / Motivational Kahaniya

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हम जैसे भी है, और जैसी भी स्थिति में है उसमें हमें खुश रहना चाहिए.

क्योंकि इस दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जिसे हमारे जैसी क्षमता और खूबी नहीं मिली.

हमें किसी के साथ अपनी समानता नहीं करनी चाहिए. बल्कि खुद को ही श्रेष्ठ परिणाम की मेहनत करते रहना चाहिए.


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