50 रुपये की नेकी – रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी

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ये रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी आपको क्यों पढ़नी चाहिए ?

हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो अच्छे काम करने की भावना रखते हैं. उनकी सोच भी अच्छी और नेक है लेकिन खुद आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होते.

जिसके कारण हो किसी और की मदद नहीं करते. वो ऐसा सोचते है कि हमारे पास इतनने ज्यादा पैसे नहीं है जिससे हम दूसरों की मदद कर सके.

लेकिन आपको यह रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी पढ़कर महसूस होगा कि आपके पास अगर थोड़े बहोत पैसे हैं तब भी आप किसी और की मदद कर सकते हैं और वह भी उसे जताए बिना.

और यही तो असली नेकी है की है की आप किसी की मदद करें लेकिन उस पर एहसान ना जताए.

रियल स्टोरी – जीवन बदलने वाली कहानी

बारिश अभी थोड़ी देर पहले ही रुकी थी. शहर के बाहर नेशनल हाइवे पर एक बंद दुकान के आगे नाश्ते के ठेला लगा हुआ था. ठेले पर आने वाले ग्राहक बंद दुकान के पास बैठते और नाश्ता करते.

वहीं पर शायद चार साल का एक बच्चा अपने पिता के साथ बैठा था उनके चेहरे और कपड़ों से साफ दिख रहा था कि दोनों गरीब परिवार से है उन्होंने नाश्ते के ठेले पर से थोड़ा बहुत नाश्ता लिया था और खा रहे थे वही उसी ठेले पर रमीज भी खड़ा था. उसने देखा कि गरीब बच्चे को उसका पिता कह रहा था कि बस मैंने खा लिया अब इतना नाश्ता तुम खा लो

नाश्ता लगभग 20 या 25 रुपये का ही होगा और वह भी थोड़ा ही था. साफ दिख रहा था कि बच्चे का पिता अभी भी भूखा है लेकिन फिर भी बच्चा पेट भर कर खा सके इसलिए उसने पेट भरकर खा लिया है ऐसा दिखावा किया था.

रमीज को लगा दोनों बाप बेटे अभी भी भूखे थे. शायद उसके पास और पैसे नही थे जिससे वो ज्यादा नाश्ता खरीद सके. रमीज को उन लोगों की मदद करने की इच्छा हुई. लेकिन हर कोई मांगने वाले नही होते. किसी को अपना स्वाभिमान जान से भी ज्यादा पसंद होता है.

इसलिए रमीज ने उन बाप बेटे से पूछने के बजाय ठेले वाले से पूछा, ये दोनों कौन है, तुम इन्हें पहचानते हो ?

” मजदूर है, कभी कभी यहाँ नाश्ता करने के लिए आते है, आज बारिश की वजह से शायद इन्हें कोई काम नही मिला होगा “

” एक काम कीजिए, आप 50 रुपये का और नाश्ता दे दो, ये लीजिए 50 रुपये, लेकिन उसे कहना मत की ये पैसे मैंने दिए है वरना उसे अच्छा नही लगेगा, ये कह देना की नाश्ता कर लो पैसे कल दे देना, फिर कल उनसे पैसे मत लेना. “

” अच्छा ठीक है

ठेले वाले ने ऐसा ही किया और उन बाप बेटे को 50 रुपये का ज्यादा नाश्ता दिया, जब बाप बेटे ने पेट भरकर खा लिया उसके बाद ही रमीज ने नाश्ता किया.

यहां बात ₹50 की दातारी की नहीं है आज के जमाने में ₹50 की कोई कीमत नहीं है यह भी हम सभी जानते हैं फिर भी ₹50 से किसी और की मदद की जा सकती है यह महत्वपूर्ण है

बात बिल्कुल अनजान व्यक्ति को मदद करने की इच्छा शक्ति की है.

रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी की सीख

इस रियल स्टोरी से हमें दो सीख मिलती है.

  1. अच्छे और नेकी के काम करने के लिए आपका पैसों से अमीर होना जरूरी नहीं है.
  2. किसी की मदद करना चाहो तो ऐसे करो कि उसे पता भी न चले.

जीवन बदलने वाली कहानी को पढ़ने के लिए शुक्रिया 💓

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