(किसी भी मुसीबत के आने पर आगे क्या होता है उसे देखने के बजाय हम क्या कर सकते है उस महत्व को समझाती एक छोटी सी कहानी)
एक गांव में अचानक आग लग गई और आग धीरे-धीरे आगे बढ़ते ही जा रही थी. आग का विकराल स्वरूप देखकर गांव वाले अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे.
धीरे धीरे आग का धुआं गांव के पास में बने जंगल में पहुंचा. वहां एक ऊंचे पेड़ पर बैठी हुई चिड़िया ने आग की लपटों को देखा तो अपने घौंसले से बाहर निकल आई.
चिड़िया को किसी ने कहा भी नहीं था लेकिन फिर भी वह गांव के तालाब में से अपनी छोटी सी चोंच में पानी भरकर आग के ऊपर डालने लगी जिससे आग बुझ जाए.
स्पष्ट था कि चिड़िया जितना पानी अपनी चोंच में लाकर आग के ऊपर डाल रही थी उससे आग कभी बुझने वाली नहीं थी लेकिन फिर भी वह अपना प्रयास कर रही थी.
चिड़िया को देखकर गांव वाले भी सोचने लगे कि अगर यह छोटी सी चिड़िया आग बुझाने का प्रयास कर सकती है तो हम क्यों नहीं कर सकते ?
देखते ही देखते सभी गांव वाले आग बुझाने के लिए अपना अपना प्रयास करने लगे और पानी डालने लगे कुछ देर के बाद आग बुझ गई.
यह दृश्य पेड़ पर बैठा एक कौवा देख रहा था. उसने चिड़िया से कहा, असल में तो गांव वालो ने आग पर पानी डाला इसलिए आग बुझी.
लेकिन तुम चोंच में पानी भरकर आग पर क्यों डाल रही थी ? जबकि तुम्हें यह पता था कि तुम्हारी वजह से आग बुझने वाली नहीं है.
चिड़िया ने जवाब दिया, मेरे पानी डालने से आग बुझे या ना बुझे. लेकिन मैं अपना प्रयास करना चाहती थी जिससे मेरी गिनती तमाशा देखने वालों में नही बल्कि कोशिश करने वालों में हो.
Moral Of The Story: किसी भी मुसीबत को देखकर वेट नहीं जाना चाहिए लेकिन उसे हल करने का प्रयास करना चाहिए.
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