(आज के जमाने में माँ-बाप और बच्चों के बीच होने वाली छोटी बड़ी अनबन को लेकर एक भावुक संदेश)
जिस दिन हम बूढ़े हो जाए तो तुम हम पर गुस्सा होने के बजाय हमें समझने की कोशिश करना और हमारी कड़वी बातों पर सब्र कर लेना.
अगर हम तुमसे कोई एक ही बात बार-बार करने लगे और तुम्हारी बताई हुई बात भूल जाए तो हमें माफ कर देना और अपना बचपन याद कर लेना.
जब हम बीमार हो जाए और हमारे इलाज का खर्चा तुम पर भारी पड़ने लगे तब उस दिन को याद कर लेना जब हमने तुम्हारी खुशियों के लिए अपनी ख्वाहिशे कुर्बान कर दी थी.
अगर बुढ़ापे की वजह से हमारा चलना मुश्किल हो जाए तब हमारा सहारा बनना और अपने बचपन के दिनों को याद करना जब तुमने पहला कदम आगे बढ़ाया था.
अगर किसी वजह से हमारी आंखों में आंसू आ जाए और तुम देख लो तो उन दिनों को याद करना जब तुम रोते थे तो हम तुम्हें छाती से लिपटकर चुप करा देते थे.
जब ठंड की वजह से हम ठिठुर रहे हो तो बिना कोई देर कीए हम पर रजाई या कंबल डाल देना जैसा हमने बचपन में तुम्हारे साथ किया था.
अपनी बीवी और बच्चों के प्यार में इतना मत खो जाना की हमें भूल जाओ. याद रखना आज हम जिस दहलीज पर खड़े है कल तुम्हे भी वहां आना है.
अगर तुम किसी की बेटे या बेटी हो तो ये संदेश अपने बच्चों को जरूर सिखाते जाना और अपने माँ-बाप से बेहतर अंदाज में बातचीत करना.
ये नसीहतें अगर आपको सही लगी हो तो खुद भी अमल करना और अपने भाई - बहन और दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिए
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